कहानी संग्रह >> इक्कीस बांग्ला कहानियाँ इक्कीस बांग्ला कहानियाँअरुण कुमार मुखोपाध्याय
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इक्कीस बांग्ला कहानियाँ - समय की दृष्टि से बांग्ला की छोटी कहानियों का इतिहास लम्बा तो नहीं है, पर इसके उत्कर्ष को अस्वीकार नहीं किया जा सकता।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
इक्कीस बांग्ला कहानियाँ - समय की दृष्टि से बांग्ला की छोटी कहानियों का इतिहास लम्बा तो नहीं है, पर इसके उत्कर्ष को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। मध्यम वर्गीय समस्याओं से घिरे नगर जीवन तथा कल्लोलित नदियों और पश्चिम की मटमैली चढ़ाई, उतराई से घिरे ग्राम जीवन के मूल सुर ने बांग्ला की छोटी
कहानियों को विशेषता प्रदान की है।
वर्तमान काल के इक्कीस कहानियों का यह संकलन सिर्फ कहानियों के रस से समृद्ध ही नहीं, रवीन्द्रनाथ के बाद के बांग्ला साहित्य की मौलिकता का भी सूचक है। कलकत्ता विश्वविद्यालय में बांग्ला के अध्यापक एवं बांग्ला साहित्य के समालोचक अरूण कुमार मुखोपाध्याय इस संकलन के सम्पादक हैं।
वर्तमान काल के इक्कीस कहानियों का यह संकलन सिर्फ कहानियों के रस से समृद्ध ही नहीं, रवीन्द्रनाथ के बाद के बांग्ला साहित्य की मौलिकता का भी सूचक है। कलकत्ता विश्वविद्यालय में बांग्ला के अध्यापक एवं बांग्ला साहित्य के समालोचक अरूण कुमार मुखोपाध्याय इस संकलन के सम्पादक हैं।
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